आशियाना प्यार का
************ आशियाना प्यार का ***********
****************************************
हरी भरी फुलवारी से है भरा आशियाना प्यार का,
रंग बिरंगे फूलों से रहे महकता आशियाना प्यार का।
लटकते झूमर में बना बसेरा चिडियों के परिवार का,
आँगन की बगिया में दाना चुग पेट भरे परिवार का।
सुंदर बहुत लगता सजा हुआ आशियाना प्यार का।
रंग बिरंगे फूलों रहे से महकता आशियाना प्यार का।
मधुमालती के खूब सुमन खिले आँगन में यहाँ वहाँ,
मनी प्लांट की बेले लटकती दिखे देखूँ मैं जहाँ जहाँ,
क्रिसमिस,पाम,एरिका से भरा आशियाना प्यार का।
रंग बिरंगे फूलों से रहे महकता आशियाना प्यार का।
फेरीवाला आया द्वार सामने बेचे गोभी,आलू,करेले,
भिंडी,खरबूजा, प्याज,टमाटर बेच रहा है सवेरे सवेरे,
गाय माता भी खाती फिरे चारा आशियाना प्यार का।
रंग बिरंगे फूलों से रहे महकता आशियाना प्यार का।
ताजी बरसात हुई है खिल गई बगिया में कली कली,
पेड़ पौधों से हरा भरा ऑक्सीजन की न कमी मिली,
खूब सुहाना सा लगता है सवेरा आशियाना प्यार का।
रंग बिरंगे फुलो से रहे महकता आशियाना प्यार का।
मनसीरत के कहने कर काली सी हंडिया है लटकाई,
स्वर्गतुल्य स्नेही आवास पर नजर की न हो सुनवाई,
अनुराग भरी दीवारों पर खड़ा आशियाना प्यार का।
रंग बिरंगे फूलों से रहे महकता आशियाना प्यार का।
हरी भरी फुलवारी से है भरा आशियाना प्यार का।
रंग बिरंगे फूलों से रहे महकता आशियाना प्यार का।
****************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)