आशिक रोना चाहता है ————
गुमनाम है कोई तो कोई गुम होना चाहता है,
चैन-ओ-आराम है तो कोई खोना चाहता है |
अपना अपना जीवन हैं फसाने भी अपने अपने;
वो इश्क़ ही है जिसमे आशिक रोना चाहता है |
मैं ये नही कहता ये ज़िद-ओ-मुकद्दर है उसका;
कमबख्त इश्क़ हर दफा नया खिलौना चाहता है |
– लक्ष्मण ‘बिजनौरी’
(10-10-2022)