आशा
आशा
कुछ और नहीं सुन ,मेरे हिय, बस तुमसे मिलने की आशा है ,
हाँ तुम ही कहो,जी चौर पिया,क्या प्रेम की यही परिभाषा है l
मधुमास लिए,अहसास लिए मेरे प्रेम का जब तुम आओगे
तुमसे हीं मिलन की आस लिए,हे प्राण प्रिय मुझे पाओगे …l
सुनो चपल नयन क्या कहते हैं,इनकी अपनी ही भाषा है ,
इन्हें देखते ही जिया पढलोगे,इन नयनों की यही आशा है l
नीलम शर्मा