*** आशा ही वो जहाज है….!!! ***
“”” सुनकर मेरी सपने…
बस, दुनिया सारी हंसती है…!
बिन पंखों वाली कहकर, मुझको…
सब, ताने देने देती रहती है…!
क्यों कहती है, ये सब दुनिया…
शायद इसका न कोई राज़ है…!
कब मिलेगा वो सब, मुझको…
जिसका न कोई आगाज़ है…!
मंजिल तक ले जाए, मुझे…
आशा ही वो एक जहाज है…!
सपने मेरे,पड़े हैं गिरवी…
मुझे आज नया कुछ, करने दो…!
उड़ने को आकाश,
देखती मेरी आशायें…
उम्मीदों की उड़ान को…
पंख तो लगने दो…!
पथ को मेरे…
हौसले की, कोई सहारा दो…!
मुझे एक…
नई बुलंदी तो छूने दो…!! “”
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