आशा के दीप
सूर्य,चाँद और तारे
वन, पहाड़ और झरने
शीतल बयार और काले मेघ
सब मुँह चिढ़ाते हैं,
इंसान की बेबसी पर!
मनु के संतानों !
उठो!सजग हो !!
छोड़ो मन के संताप
और व्यर्थ की चिंता
फेंक डालो समस्याओं का चोला
न कोई सुनेगा,
न कोई हरेगा,
तुम्हारी चिंताओं का ख्याल !
बस,
सभी हँसेंगे
तुम्हारी बेबसी पर,
नमक छिड़केंगे
तुम्हारी दुखती रगों पर
सब कानाफूसी करेंगे
तुम्हारी समस्या पर
और तुम
सुपर मैन से
बन जाओगे
एक समस्या मैन,
मगरमच्छ आँसू बहाते
लोगों की तथाकथित स्नेहिल नजरों में,
अस्तु,
उठो!सजग हो !!
छोड़ो व्यर्थ का संताप
फिर उड़ान शुरू करो,
यदि कोई संगी साथ भी न दे,
तो भी
आशा के दीप जलाओ।