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16 May 2020 · 1 min read

आशा की धूप

बुझा प्रदीप
मन के आँगन में
हुआ अँधेरा।

आशा की धूप
निराशा की जड़ता
करेगी दूर।

मिलेगा मीत
गुनगुना रे मन
मधुर गीत।

अरे भ्रमण
अधकली कली से
न छेड़।

शुभकामना
नव वर्ष आपका
सुखमय हो।

न हो उदास
आयेगी खुशहाली
देर सवेर।

रे मूढ़ मन
जला आशा के दीप
छोड़ निराशा।

न हो बेनूर
रखो आँखों में शर्म
करें सुकर्म।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Language: Hindi
4 Likes · 314 Views
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