“आशा” की चौपाइयां
जलधि, अवज्ञा राम सुहावा,
तीन दिवस, नहिं मार्ग दिखावा।
भय दरसाइ प्रीति समुझावा,
साधुवचन, महिमा बतलावा।
विनय जु कीन्ह, सकल फल पावा,
अहँकार नहिं, हरि मन भावा।
फलनभार, बृच्छ, झुकि जावा,
लगि खजूर, सब जगहिँ छलावा।
मर्यादा कौ, मरम सुनावा,
“आशादास”, रामगुन गावा।।
रामराज्य कै, बात सुनावा,
दुःख, बिपति नहिं, काहू ब्यापा।
कलिजुग रीति, अधम दिखलावा,
ढोंग पाप कै, चढ़त चढ़ावा।
छिन भर माहिँ, झूठ बिकि जावा,
कहाँ साँच कोउ, पूछन आवा।
बाजत ढोल, असत्य सुहावा,
भरम, ज्ञान कौ, खूब नचावा।
“आशादास”, साँच गुन गावा,
जो जस कीन्हि, सो तस फल पावा।।