आशा की किरण
अंतःकरण के शब्द उमड़ते घुमड़ते हैं ,
अभिव्यक्ति के स्वर बनते नहीं ,
चिंतित मनस वस्तुःस्थिति आकलन में असमर्थ सा पाता है ,
सकारात्मकता के अभाव में व्याप्त नकारात्मकता में डूब सा जाता है ,
संकल्प टूटता सा , आत्मविश्वास डगमगाता सा लगता है ,
स्वार्थ , एवं छद्मवेशी व्यवहार के यथार्थ में सद्भाव सत्य नगण्य सा लगता है ,
फिर भी जीवन चक्र में आशा की किरण जागृत रहती है ,
संतापों को झेलते अग्रसर रहने की प्रेरणा देती रहती है ,