“आशा की किरण” #100 शब्दों की कहानी#
सुशील पढ़ाई में पहले से ही होनहार, सब उसकी तारीफ करते, कड़ी मेहनत कर वह प्रतिवर्ष अव्वल नंबरों से उत्तीर्ण होता । इस बार बारहवी बोर्ड की परीक्षा की तैयारी जोरों पर थी, माता-पिता के सपनों पर खरा उतरना था ।
आईएएस अधिकारी की परीक्षा उत्तीर्ण करने का अवसर कभी खोना नहीं चाहता था, पर नियति के लिखे को कोई रोक पाया है भला ? परीक्षा के पहले दिन ही सुशील का गहन एक्सीडेंट हो गया , उसे एकदम घने काले बादलों के अंधियारे ने घेर लिया था कि शिक्षिका परीक्षा का एक अवसर देने आशा की किरण बनकर आई।