आवो पधारो घर मेरे गणपति
(शेर)- तुम्हारी पूजा के बगैर गणपति, कोई काम शुरु नहीं होता है।
हर शुभ काम गणपति, तुम्हारी पूजा से ही शुभ होता है।।
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आवो पधारो घर मेरे गणपति।
सुनकै हमारी विनती तुम गणपति।।
आवो पधारो घर—————–।।
सुख- समृद्धि के हो, तुम देवता।
बुद्धि और ज्ञान के हो, तुम देवता।।
वक्रतुण्ड महाकाय और विघ्नहर्ता।
तुम्हारा है स्वागत मेरे घर गणपति।।
आवो पधारो घर——————-।।
रिद्धि- सिध्दि- बुद्धि के स्वामी हो तुम।
शुभ कार्य से पहले हो, पूजनीय तुम।।
सुखकर्त्ता, गणेश्वर और सिद्धिविनायक।
सुनो शिव- गौरीपुत्र तुम गणपति।।
आवो पधारो घर ——————–।।
तुमको पसन्द मोदक- मूषक की सवारी।
शुभ- लाभ- संतोषी है, संतान तुम्हारी।।
कार्तिक-अय्यप्पा के तुम, छोटे भ्राता।
मानो ज्योति- मनसा के बीर गणपति।।
आवो पधारो घर————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)