आवारा ना था
दोष तेरी अदाओं का ही था
वरना मैं आवारा ना था !!
वो मोरनी जैसी चाल
बिखरे-बिखरे बाल
दूध सी गोराई
और ओठ लाल-लाल
तेरे सिवा क्या देखूं कोई नजारा न था
वरना मैं आवारा……!!
था मैं गांव का देसी छोरा
चल गया प्यार का नशा थोड़ा
इतना पास बुला कर पगली
हम पर डाल रही थी डोरा
दिल दे बैठा उसको कोई चारा न था
वरना मैं आवारा………!!
रात को बाहर आना जाना
तरह तरह होटल का खाना
बाप की थी इकलौती छोरी
कोई भी ना करता था माना
ऐसा लम्हा किसी के साथ गुजारा ना था
वरना मैं आवारा………!!
गांव से करने आया पढ़ाई
तब तक हो गई मेरी सगाई
बापू का टूटा सपना
घर में रोती होगी माई
क्योंकि मेरे सिवा कोई उनका सहारा ना था
वरना मैं आवारा………!!!!
सुनिल गोस्वामी