आवाज रहट की
खट खट की आवाज
रहट की ।
अंतर्मन की यह पीड़ा का
गीत लिए जो गाती जाती ।
और समय का पहिया चलता
भर भर घिरियाँ पानी लाती ।।
पुरवैया के साथ फ़हरते
छवि दिखती ज्यों
रेशम पट की ।
खट खट की आवाज
रहट की ।।
दूर दूर तक लहराती है
खेतों में फैली हरियाली ।
थकता नहीं रहट चलता है
पूनम हो या अमावस काली ।।
उमर ढले , फिर भी न घटती
नई ऊर्जा अन्तर्घट की ।
खट खट की आवाज
रहट की ।।
– सतीश शर्मा, नरसिंहपुर
मध्यप्रदेश