*#आलू_जिंदाबाद (#हास्य_व्यंग्य)*
#आलू_जिंदाबाद (#हास्य_व्यंग्य)
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जीवन में #आलू का विशेष महत्व है । जो लोग आलू के महत्व को नहीं समझ पाते हैं, उन्हें जिंदगी भर पछताना पड़ता है । आलू हमारा सुख-दुख का साथी है । आलू हर समय हमारे साथ रहता है ।अगर आलू न हो तो आदमी क्या खाएगा ? आलू की सब्जी बनती है तो समझ लीजिए भोजन बनता है।
कई बार सूखे आलू अच्छे कहलाते हैं। कई बार लोगों को पतले आलू अच्छे लगते हैं। यह आलू ही है जो समोसे के अंदर भर कर सर्वसाधारण को नाश्ता उपलब्ध करा देता है। आलू न हो तो आदमी को मठरी से काम चलाना पड़ेगा । सोचिए ! कितनी दुखद स्थिति होगी । जब भी कोई संकट आता है घर गृहस्थी में दो-चार किलो आलू पड़े होते हैं तो आदमी को भरोसा बना रहता है कि हफ्ता-दस दिन चल जाएंगे ।
आलू सर्वप्रिय है । शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जो आलू न खाता हो। दुर्भाग्य से जिनको शुगर हो जाती है उनको डॉक्टर आलू खाने से मना कर देते हैं । अब उनके सामने मुख्य समस्या यह रहती है कि आलू न खाएँ तो क्या खाएँ ? सभी सब्जियों में आलू पड़कर उसके स्वाद को दुगना कर देता है । आलू खुद में एक संपूर्ण भोजन है।
कुछ लोग आलू को घी में तलकर उसकी चाट बनाते हैं । कई बार आलू की टिकिया बनती है ,जो सभी को विशेष पसंद आती है । आलू की पकौड़ी का नाम सुनते ही मुंह में पानी भर आता है। आलू देखने में सुंदर नहीं होता लेकिन फूलगोभी से पूछो, उसकी सब्जी बगैर आलू के अधूरी मानी जाती है । आलू-गोभी मिलकर ऐसा लगता है ,जैसे संगीत की कोई जोड़ी चली आ रही है । जोड़ी के बारे में देखा जाए तो चने और आलू की जोड़ी भी खूब चली ।
हलवाई को आलू दे दो ,तब वह कुछ न कुछ बेहतरीन बनाकर सबको खिला देगा। आलू न हो तब एक प्रश्न चिन्ह लग जाएगा कि क्या खाएं और क्या खिलाएँ ? वैसे तो सब्जियां बहुत हैं लेकिन किसी को कोई नापसंद है तो किसी को कोई नापसंद है। सिर्फ आलू के बारे में एक आम राय है कि यह सबको पसंद है ।
आलू व्यक्ति को हंसमुख और तंदुरुस्त बनाता है । जो लोग आलू खाते हैं ,वे आलू के समान मोटे हो जाते हैं । किसी को गोल-मटोल कहना है तो यह सहज ही कहा जा सकता है कि अमुक व्यक्ति आलू है । आलू की जय हो । आलू जिंदाबाद ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451