आलू और मिर्च
मिर्च ने जब आलू से पृति लगाई।जब आलू और मिर्च की भईं सगाई।भटा बना पनड़ित उसनें भंवर कराई।मिर्च ने कहा प्रेम अंतर जातीय है।कयोकि आलू था गोल मटोल मिर्च को पंसद था उसका चेहरा।दोनों ने मिलकर एक जोड़ी बनाई।एक दिन जब मिर्च लाल हुई।तब आलू चकराया।मिर्च ने कया गुल खिलाया।जब आलू ने देखी तब मिर्च हरी थी।और अब मिर्च लाल कैसे हुई।ये कैसा कमाल है।डर आलू भागा।मिर्च ने भी दौड़ लगाई।मिर्च ने जब आलू से प्रीत लगाई।।