आलस्य
नींद खुली तो,
मैं उठ जाऊं
और सपनों से बाहर आकर
सुबह की सुहावनी हवा में जाकर,
थोड़ा मैं घुमना चाहुं
पर आलस में आकर
फिर बिस्तर पर सो जाऊं,
यही रही है मेरी आदत
कैसे मैं इससे छुटकारा पाऊं।
कहता रहता मैं सबको,
उठा देना सुबह सवेरे
उठकर मैं कुछ कर लूंगा,
लेकिन मैं सुबह उठ नहीं पाता
हर रोज आलस्य में रह जाता
फिर बाद में मैं पछताता,
यही रही है मेरी आदत
कैसे मैं इससे छुटकारा पाऊं।