आलस्य ही आलस्य
आलस्य ही आलस्य हैं भाई आलस्य ही आलस्य।
जिधर देखो उधर आलस्य का माहौल है।
लोगों का जीवनकाल कम है करती ये आलस्य।
जीवन से संघर्ष दूर हटाती है ये आलस्य।
लोगों के विकास में बाधा हैं ये आलस्य।
आज का काम कल पे डाले ये आलस्य।
दरिद्रता का माहौल है बनाती ये आलस्य।
कितनो के विनाश का कारण बनती हैं आलस्य।
बेरोजगारों की संख्या बढ़ाती हैं ये आलस्य।
बिना काम काज के फल चाहती ये आलस्य।
बड़ी बड़ी बाते बस करना सिखाती ये आलस्य।
जीवन के लक्ष्य से मन भटकाती ये आलस्य।
मन में विद्रोह की भावना लाती हैं ये आलस्य।
साफ मन गन्दा बनाती हैं ये आलस्य।
मनुष्य कल्याण को पूरा ना होने देती ये आलस्य।
देखते में ही जिंदगी बर्बाद कर देती ये आलस्य।
कल करने का बहाना बनाती हैं ये आलस्य।
अंत में लोगों से मजदूरी कराती हैं ये आलस्य।
लोगों के उदासी का प्रतीक हैं ये आलस्य।
विश्व विकास में डालें बाधा ये आलस्य।
मन में पाप की भावना लाता हैं ये आलस्य।।