आरज़ू
हसरत नहीं आलीशान महलों की,
आरज़ू है इक छोटे से आशियाने की,
जो दो दिलों के नूर से रोश़न रहे,
जहां दो दिलों का प्यार पले ,
ज़िंदादिली से ये ज़िंदगानी कटे ,
रहते दम तक, एक दूजे के लिए ए़हसास ज़िंदा रहे,
फ़ना होने पर रूहें यकसाँ हों , ख़ुदा भी जुदा ना कर सके ,