आरती भारत माता की
आरती भारत माता की
गोपी छंद 15 मात्राएँ
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आरती भारत माता की
सीख दे गौरव गाथा की ।।
शीश पर बहे सदा गंगा ।
जहाँ शोभित कंचनजंघा।।
धर्म मय पर्वत की माला ।
प्रयागों का सुन्दर जाला ।।
वहीं केदार नाथ वाले ,
खोलते अंतर के ताले ।।
बनें हैं अति विराट नंदी ।
नाम से छूटे भव बंदी ।।
छटा बद्री सुख दाता की ।।
आरती भारत माता की ।।
2
जहाँ राणा से बलिदानी ।
शौर्यमय भू राजस्थानी ।
यहीं पंजाब तेगधारी ।
एम पी यूपी रणकारी।।
यहाँ कश्मीर स्वर्ग छानी
यहाँ गुजरात संत बानी
विकट है विद्या बंगाली ।
जहाँ कलकत्ते की काली।
बोस जय घोष प्रदाता की
आरती भारत माता की ।।
3
बहें सब धर्मों की नदियाँ ।
कहें कण कण महिमा सदियाँ
सभी की जान तिरंगे में ।
धरा का मान तिरंगे में ।।
सदा ऊँचे फहराना है ।
गीत जन गण मन गाना है ।।
बड़ा इससे न कहीं पद है ।।
सजी सेना से सरहद है ।
रात दिन अरिभय त्राता की
आरती भारत माता की ।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश