बेटियां
बेटियां
गोदी में छुप मुस्काती हैं,
प्यारी-प्यारी बेटियां।
नन्हे हाथों से दुलराती,
प्रेम लुटाती बेटियां।
अंधियारे में उजला दीपक,
सदा जलाती बेटियां।
सूने घर में खुशियां भर कर,
स्वर्ग बनाती बेटियां।
मम्मी पापा के आंगन की,
बहुत बड़ी हैं बेटियां।
नहीं मोम की गुड़िया अब तो,
बहुत कड़ी हैं बेटियां।
सारे कामों को मेहनत से,
साध रही हैं बेटियां।
सारी दुनिया को मुट्ठी में,
बांध रही है बेटियां।
निज संस्कृति का मान न भूलें, अपनों का सम्मान न भूलें,
मूल्यों की मशाल मन में लें,
कर्तव्यों के भार संभालें।
सबके दिल में सदा बसेंगी,
राज करेंगी बेटियां।
सबसे सुंदर सबसे प्यारी,
अपनी सारी बेटियां।
इंदु पाराशर