आरजू
आरजू
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दिल की आरजू है मुझे हर मुकाम मिले
हर मुकाम मिले साथ दुआ सलाम मिले
वो जो हर खुशी मिली मुझे कबूल नहीं
खुशी जो मिले मुझे प्रेम का जाम मिले
मुश्किल की घड़ी में अपनों का साथ हो
वो घड़ी कट जाएगी, हसीं शाम मिले
जिल्लत भरी जिंदगी मुझको कबूल नहीं
जिंदगी में मुझे खुशी के पैगाम मिले
जिंदगी में मुझे बस दो चार यार मिलें
वो जो दो चार हो , दिल के गुलाम मिलें
जीवन की हसरतें पूरी होती नहीं
सुखविंद्र, जो भी मिले वो मुकम्मल मिले
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)