आरजू सारी अधूरी की अधूरी रह गई।
आरजू सारी अधूरी की अधूरी रह गई।
रात भर थे साथ लेकिन बात सारी रह गई ।
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मैंने सोचा था बता दूंगा मैं दिल की कैफियत।
सामने उसके न कुछ भी होशियारी रह गई।
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किसको कितना खेलना है रब को यह मालूम है।
सबको लगता है जवानी की यह पारी रह गई ।
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जो सुकूं है, चैन है,राहत है, जो आराम है।
दिल जिगर सब दे दिया फिर भी उधारी रह गई ।
❤️
दिल के मंदिर की वह देवी रहती है दिल में मेरे।
कुफ्र और ईमान की यह जंग जारी रह गई।
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यह जुनून ए इश्क ले आया मुझे इस मोड़ पर।
अब ना वो अपनी रही न वह हमारी रह गई।
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दर्द को दिल में छुपा कर हंस रहे हैं हम सगी़र।
अब ख़ुशी में और ग़म में जंग जारी रह गई।