आरज़ू
आरजू
परीशां जुल्फ़ की मानिन्द ना बिखर।
सवँर जा ऐ ग़मे दौरा सवँर जा।।
ख़िजा अब तू ठहर मत कोई दम भी।
बिखर जा ऐ बहारा हर सू बिखर जा।।
ऐ दिल और मत हो हिरासाँ इस फिज़ा में।
गुज़र जा है ग़मे मौसम गुजर जा।।
हो भी ले रुख़सत गर्दिशे मेरी तक़दीर की।
सँवर जा ऐ मुकद्दर अब सँवर जा।।
मुझको भी मुस्कुराने का सबब दे या रब।
ठहर जा ऐ खुशी अब तो ठहर जा।।