आरक्षण
आरक्षण के मुद्दे पर ये साफ़ हमारा कहना है
जो जितना है लायक जिसके, उसको उतना देना है।
कुछ का अब तक पेट भरा ना, अत्यंत ये दुखदायक है
अब भी कहता आने दो, सच में वो तो नालायक है।
कुछ अमीर जो दलित कहाते, वो मुफ़्त मलाई चाट रहे
कुछ ग़रीब जो स्वर्ण कहाते, आपस में दुख को बाँट रहे।
हर जाति मांगे आरक्षण, इंसा मरता है क्षण-क्षण
कर मेहनत, एक स्वर में गाओ, बोलो जय जय, जन-गण-मन।
इंसा-इंसा एक था, उसे 36 कौम में बाँट दिया
कुछ को तुमने ब्राह्मण कह दिया, कुछ को शूद्र नाम दिया।
कर्म आधारित जो था सिस्टम, जन्म आधारित बना दिया
ब्राह्मण के शुद्र भी जन्मा, ब्राह्मण उसको बता दिया।
शूद्र के घर में ब्राह्मण जन्मा, तब भी वो शूद्र कहलाया
पढ़-लिख के बन जाता अफ़सर, फिर भी जातिवाद ने खाया।
मुफ़्त में मिलती रेवड़ी, तो उसको ना अपनाओ तुम
देश प्रदेश का जो है ख़ज़ाना, उसपे ना कर्ज़ चढ़ाओ तुम।
मत बांटों इस भारत को हम सारे भाई-भाई हैं
किसके माथे पर ये लिखा है, ये धोबी वो नाई है?
कहत सुधीर सुनो भाई प्यारों, ऊंच-नीच पर मत बोलो
बोलो केवल इतना बोलो, तुम भारत माँ की जय बोलो।
#सुधीरा की कलम ✍️ से…