आरक्षण
तेजोमय प्रतिभावान दीन का, यथोचित स्थान का आभाव हुआ,
तत्क्षण निज वतन में, आरक्षण का पूर्णरूपेण प्रादुर्भाव हुआ,
आरक्षण की आड़ में जब, लाभार्थियों का कुटिल स्वभाव हुआ,
आरक्षण अभिशाप बन गया, निरा आरक्षण का दुष्प्रभाव हुआ।
आरक्षण से अनुचित लाभान्वित होते, मिलता जब इनको सम्मान,
अनैतिक कुटिल स्वभाव परिपूर्ण, करते जनता का अपमान,
अज्ञानी अल्पज्ञानी निस्तेज, छद्म कुटिलता इनकी पहचान,
निज व्यवस्था पर पकड़ नहीं, उत्तरदायित्वों से होते अज्ञान।
आरक्षण वरदान बने, निर्धन प्रतिभाशाली को मिले उचित स्थान,
आरक्षण अभिशाप बने जब, प्रतिभावान को मात्र मिले अपमान।
?? मधुकर ??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।