आरक्षण का भुत
विलुप्त होती प्रतिभा को
संजीवनी पीलाओ
मेधावी को उसका
अधिकार अब दिलाओ
राजनीतिक चक्रव्यूह से
दक्षता को बचाओ
आरक्षण के भूत को
इस देश से भगाओ।
प्रण साध लोअब
हूँकार तो लगाओ
राष्ट्र के भविष्य को
इस गर्क से बचाओ
” शुक्ल ” के प्रयास को
आशमान तो दिलाओ
आरक्षण के भूत को
इस देश से भगाओ।
साधक तूम कर्म के
आवाज तो उठाओ
प्रसस्त करो पथ को
पग तो बढाओ
क्षमता के स्वाधिकार का
अब गीत गुनगुनाओ
आरक्षण के भूत को
इस देश से भगाओ।
बुलंद हौसले का
आभास तो कराओ
मौन साध कर ना
भविष्य तुम मिटाओ
नौनिहालों को उनका
जमीन अब दिलाओ
संघर्ष करो अब तुम
न रण से घबड़ाओ
आरक्षण के भूत को”
इस देश से भगाओ ।।
©® पं.सचिन शुक्ल