Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Oct 2017 · 1 min read

आरक्षण एक विघ्न

विघ्न मेधावी का ……
……………………………

आरक्षण है विघ्न बड़ा
मेधा के पथ दुर्भाग्य खड़ा,
अब काहे नहीं तुम जाग रहे
अपने हक को नहीं मांग रहे
रण करने को रणभूमी मिला
फिर काहे हो तुम भाग रहे
अब आरक्षण झंझोड़ रहा
यह मेधावी को तोड़ रहा
फिर काहे नहीं रण करते हो
तुम याचक बन क्यों मरते हो
है विघ्न कौन सा इस जग में
जो रोक सके क्षमता क्षण में
प्रलय प्रचण्ड आ जाता है
जब मेधा मुखर हो जाती है
भावी भविष्य वह स्वप्न हो तुम
माँ -बापू का अमरत्व हो तुम
फिर ऐसे क्यों तुम सोते हो
अधिकार तुम अपना खोते हो
है कायरता यह कुछ और नहीं
अब आत्मसमर्पण और नहीं
विद्या-बुद्धि-क्षमता अखण्ड
मेधावी के साधन प्रचण्ड
विपदा को अपने श्रवण करो
बुद्धि-बिबेक को प्रखर करो
कब तक यूंही शर्माओगे
दूर्भाग्य को गले लगाओगे
आओ दुर्भाग्य का नाश करें
आरक्षण मुक्त इतिहास लिखें।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
पूर्वार्थ
पेड़ का दर्द
पेड़ का दर्द
Dr Archana Gupta
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
शेखर सिंह
शुभकामना संदेश
शुभकामना संदेश
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
पापी मनुष्य
पापी मनुष्य
Rahul Singh
लोकतंत्र के प्रहरी
लोकतंत्र के प्रहरी
Dr Mukesh 'Aseemit'
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उसकी याद में क्यों
उसकी याद में क्यों
Chitra Bisht
जितनी मेहनत
जितनी मेहनत
Shweta Soni
आगोश में रह कर भी पराया रहा
आगोश में रह कर भी पराया रहा
हरवंश हृदय
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
SUNIL kumar
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
गीत- मिला कोई अदाओं से...
गीत- मिला कोई अदाओं से...
आर.एस. 'प्रीतम'
खिल गई  जैसे कली हो प्यार की
खिल गई जैसे कली हो प्यार की
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इंसान
इंसान
विजय कुमार अग्रवाल
स्मृति
स्मृति
Neeraj Agarwal
तुमसे जो मिले तो
तुमसे जो मिले तो
हिमांशु Kulshrestha
पथदृष्टा
पथदृष्टा
Vivek Pandey
!! दर्द भरी ख़बरें !!
!! दर्द भरी ख़बरें !!
Chunnu Lal Gupta
धरती के अवतंस (पुस्तक समीक्षा)
धरती के अवतंस (पुस्तक समीक्षा)
गुमनाम 'बाबा'
बार - बार आजमाना अच्छी बात नही -
बार - बार आजमाना अच्छी बात नही -
bharat gehlot
" मनुष्य "
Dr. Kishan tandon kranti
4238.💐 *पूर्णिका* 💐
4238.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🙅दस्तूर दुनिया का🙅
🙅दस्तूर दुनिया का🙅
*प्रणय*
जज्बात लिख रहा हूॅ॑
जज्बात लिख रहा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
सब मुकम्मल है अपनी नज़रों में ।
सब मुकम्मल है अपनी नज़रों में ।
Dr fauzia Naseem shad
क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ
Santosh Soni
निदामत का एक आँसू ......
निदामत का एक आँसू ......
shabina. Naaz
सब भूल गये......
सब भूल गये......
Vishal Prajapati
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस
Ravi Prakash
Loading...