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10 Jan 2021 · 1 min read

आये है आपकी महफिल में

आये है आपकी महफिल में आँखो में पानी लेकर
अपने वतन की खामोश सच्ची एक कहानी लेकर

उसकी शौख निगाहें रोज मुझ पर दाग देती सवाल
राहें मोहब्बत में ले के चला कहाँ यह जवानी लेकर

मेरी जुस्तजू तुझे पुकारती सनम हर पल हर दिन
कभी तो आजा मेरे लिए एक शाम मस्तानी लेकर

दिल पर चोट मारी है तेरी बेरुख निगाहों ने सनम
रिमझिम बारिश अश्को की है जलता पानी लेकर

राहें इश्क में कही गुमशुदा बनकर ना रह जाऊं मैं
खिला दे मोहब्बत की कलियाँ मेरी कुर्बानी लेकर

खण्डर बन गया मेरे दिल का सुना यह ताजमहल
मर जाऊंगी मैं तो तेरे इश्क की चुनर धानी लेकर

दर्दें दिल की गलियों में आज भी इन्तजार अशोक
आजा तू अपने दिल की हंसी एक निशानी लेकर

अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से
9968237538

Language: Hindi
222 Views
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