आया
किसी का वक्त आया किसी का दौर आया
मैं जहाँ से चला था बस उसी ठौर आया
आंधियाँ आयीं और उड़ा ले गईं शजर को
अरसे बाद शजर -ए -किस्मत पे था बौर आया
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
किसी का वक्त आया किसी का दौर आया
मैं जहाँ से चला था बस उसी ठौर आया
आंधियाँ आयीं और उड़ा ले गईं शजर को
अरसे बाद शजर -ए -किस्मत पे था बौर आया
-सिद्धार्थ गोरखपुरी