आया होली का त्योहार
हैप्पी होली फ्रेंड्स।
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आया होली का त्यौहार, आया रंगों का त्यौहार।
रँगे बिना ना बच पाए कोई चेहरा इस बार।
कुछ का मुँह पहले से काला, कुछ में गुण है गिरगिट बाला।
कुछ को तो नादानों ने ही अपने ही रँग में रँग डाला।
कुछ चेहरों पर दो दो चेहरे, हाय राम यह क्या कर डाला।
मदमाते रँग भर झोली में सोंच रहा कोई मतवाला।
किस चेहरे पर रंग लगाऊँ सब हैं रँगे सियार।
लोग यहाँ थाली के बैगन, इनके चतुर और चंचल मन।
अधिक बजन है जिनके रँग में लुढ़क रहे हैं उनके आँगन।
बोली में घोली है मिसरी चुपड़ रहे नज़रों पर माखन।
जिस गोरी पर लट्टू हाकिम कोतवाल हैं जिसके साजन।
इनके सिवा सभी को फीकी रंगों की बौछार।
रंग बिरंगे फूलों के घर रँगे तितलियों के पर सुंदर।
बच्चों के सपनों के रँग से मिल जाएं जो रँग अंजुरीभर।
प्रेमभाव की कुछ बूँदों से भर जाए गागर में सागर।
मेरा मन उस रँग में रँग लो जो तुमको प्रिय राधा नटवर!
ऐसे रँग बरसाओ सबका सुखमय हो संसार।
संजय नारायण