आया सावन ओ साजन
ओ साजन मेरे,ओ साजन
प्यारा मौसम लेकर आया है
फिर से यह सावन,फिर से यह सावन
ऐसे में यह नयन हमारे
ढूँढ रहा है तुम्हें साजन
ओ साजन मेरे ओ साजन ।।
बरखा बरस रही है रिमझिम
कर रही प्यासी धरती से मिलन।
इस मिलन को देखकर साजन
मेरे मन मै भी उठ रहा अगन।
ओ साजन मेरे ओ साजन ।।
ऊपर से यह आसमान भी
गरज-गरज कर बजा रहा
अपना मृदंग
रिमझिम रिमझिम बारिश की
बूंदों से तृप्त हो रहा सारा उपवन।
ओ साजन मेरे ओ साजन। ।
कोयल पपीहा ताल दे रहे है
नाच उठी मोरनी का मन
खिल उठी है बगिया सारी
चारों तरफ छाई हरियाली
सब रंग रहे सावन के रंग मे
फिर कैसे मै धीर धरू साजन।
ओ साजन मेरे ओ साजन। ।
अब तो आ जाओ प्रदेश से
अब न प्यास बढाओ साजन
बुला रहा है व्याकुल होकर
सजनी का यह प्यासा मन
अब तुम और देर न करना
कही बीत न जाए यह सावन
ओ साजन मेरे ओ साजन। ।
~अनामिका