“आया रे बुढ़ापा”
“आया रे बुढ़ापा”
शिशु से बना बच्चा, बच्चे से बना जवान
यही नौजवान आज बैठ कर कराह रहा
मुश्किल हो गई है अब जीवन की डगर
नौजवान में आज जुल्मी बुढ़ापा आया,
ताउम्र भागा बच्चों का भविष्य संवारने
ज्यादातर समय अपने दफ्तर में बिताया
आज मुझे जरूरत है अपनों के सहारे की
देखा तो छोटे बच्चों को नौजवान पाया,
वो भी निभा रहे आज अपनी जिम्मेदारी
जो दायित्व कल इस वृद्ध ने भी था निभाया
चाह कर भी नहीं बैठ सकते वो आज साथ
उसने भी आज अपने दफ्तर में समय बिताया,
जीवन चक्र चल रहा है बेधड़क होकर हमेशा
धीरे धीरे बस कर्ता का किरदार का बदल गया
वर्तमान का वृद्ध जो कल का नौजवान रहा था
उसकी जगह शिशु आज नौजवान जो बन गया।