आया बाढ नग पहाड़ पे🌷✍️
आया बाढ नग पहाड़ पे
रोया जान गला फाड़ के
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बादल टकराया पहाड़ से
लपट धार पलकें फाड़ के
देख रहा जन बाढ़ सैलाव
घर द्वार सब ले गया प्लाव
नग अड़िग अचल धरा घर
बाढ़ कवच शैल शिखर बड़ा
उफान रोकने नग नाग खड़ा
कंकड पत्थर चट्टान कट गिरा
नद्य सागर रूप श्रृंगार लिए
गांव नगर जल नौका विहार
बिनआमंत्रण पानी कक्ष कोने
बाढ़ मचल रहा घर आंगन में
रौद्घ दिखाता जल तूफान
प्रलय वाण छोड़ देता जब
एन डी आरफ दीखता खडा
जानमाल बचा रहा होता ज़हां
निज सुविधा करता प्रदूषण
प्लास्टिक रेपर नाले बिखरा
बंद पड़ा गढ्ढे वहाव का द्वार
जलमग्न होते जन जंजाल
मेघा जब रोता नीले अम्बर
बौखला जाते सात समंदर
क्रोध रौद्ध पाप पुण्य भंवर की
अगाह में मृत्युदूत इंतजार खड़ा
जलधि में जल ज्वाला जलती
तरल जल अग्नि दौड़ लगाता
गली कूची मैदान रंगमहल में
ताण्डव लीला बाढ़ दिखाता
जान माल असंख्य प्राण छय
प्रजा झेलती बारंबार इसे जो
आप्लाव सीख देता हर पल पर
बत्तीसी खोल सियासत गरमाता
दोषा रोपण से नेता महानेता
बाढ़ताण्डव देख आसमान से
राहत शिविर चला सांत्वना दे
ए सी बैठ मिडिया मुखातिर
निज वाहवाही गौरव पाता
आहत जन आंसु बाढ़ मिला
जान बचाने गुहार लगाता
कान बंद आंखे खोल सुनते
कौन जनता की रुदन बोल
असंख्य मन लुहावन वादे से
जनता दिग् भ्रमित हो कीमती
अंगूठा की शक्ति दिखाता है
तब चल नभ मेघा नग टकरा
बादल फटना संज्ञा से दीर्घ
अचल नगपति डोलने लगता
तुंग रुक्ष कंकड़ पत्थर चारु
छोड कर्मवीरों की पथ रोक
जन माल प्राण को दे संकट
जन गण मन आंखे लाल कर
बाढ़ विभिषिका पद पाता है
जन उड़ चल रोड़ चतुष्पद
दीर्घ छोटे सवार वाहनों में
बहा रोड़ वाहन तैराता बाढ
पढार दर्रा घाटी और मैदोनों
जन देखता नीले अम्बर में चल
श्वेत कालिमा आकृति सी मेघा
अद्रि शिखर टकरा फट बादल
मूसलधार बारिश ले आता है
जलप्रलय में किस्मत का खेल
जल परीक्षा में पास और फेल
बाढ बिकराल जनता बेहाल
रौद्ध बाढ़ आया गिरींद्र पहाड़ पे ॥
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तारकेश्वर प्रसाद तरुण