आया पर्व पुनीत….
मुक्त हुए बंदी कारा से,
हुई हमारी जीत।
याद दिलाने आजादी की,
आया पर्व पुनीत।
बहकी-महकी सकल दिशाएँ,
सुरभित है परिवेश।
थिरक रहा है आज खुशी से,
अपना भारत देश।
कण-कण से सृष्टि के देखो,
फूट रहा संगीत।
गरज बरसकर मेघ गगन से,
करें यही संकेत।
शुद्ध भावना मन में जिसके,
मिले उसे अभिप्रेत।
आज हुए पानी-पानी जो,
हमें समझते क्रीत।
आनंदित सब भारतवासी,
जन-गण-मन उल्लास।
हुई कामना फलित हमारी,
आया दिन वह खास।
आज गा रहा बच्चा-बच्चा,
आजादी के गीत।
मर मिटे जो देश पे, उनके
याद करें अवदान।
व्यर्थ नहीं जाने देंगे हम,
उनका यह बलिदान।
वीर सपूतों पर भारत के,
उमड़ रही है प्रीत।
लापरवाही त्यागें सब जन,
रखें देश का ध्यान।
अपने प्राणों से बढ़कर हो,
मातृभूमि का मान।
गलत नहीं जब कर्म हमारे,
क्यों हों हम भयभीत।
ऐरा-गैरा आ अब कोई,
रच न सके उत्पात।
बंद रखें हम मुट्ठी अपनी,
लगा न पाए घात।
बनें सिरमौर फिर हम जग के,
दोहराएँ अतीत।।
याद दिलाने आजादी की,
आया पर्व पुनीत।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
मनके मेरे मन के से