आम आदमी
मुक्तक ३२ मात्रिक
प्रदत्त शब्द-आम आदमी
बेबस भूख गरीबी से हो, खेतों में लाचार रो रहा।
आम आदमी के सपने का, संसद में व्यापार हो रहा।
मँहगाई विकराल हो गई, रोजगार का पता नहीं है-
तेल डालकर निज कानों में, जो था जिम्मेदार सो रहा।
मुक्तक- २८ मात्रिक
प्रदत्त शब्द-आम आदमी
मँहगी गाड़ी से चलते अरु, जनसेवक कहलाते।
अन्त्योदय का अन्न बेचकर, अपना महल बनाते।
आम आदमी भूखे मरता, नून तेल का फांँका-
संसद में बिरियानी बंँटती, साथ बैठ सब खाते।
मुक्तक-२१ मात्रिक
प्रदत्त शब्द- साहित्य
रहे बस सत्य ही आधार जीवन भर।
मिले हर रोज ही त्योहार जीवन भर।
भले दौलत नहीं देना मुझे भगवन्-
बहे बस प्रेम की रसधार जीवन भर।
प्रदत्त शब्द :आम-आदमी
(मुक्तक २४ मात्रिक)
सब-कुछ कर के देख ली, पूजा और अजान।
मँहगाई की रोग से, मिलता नहीं निदान ।
क्या होली दीपावली, ईद, तीज, त्योहार-
आम आदमी के लिए, सब दिन एक समान।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464