आम आदमी की दास्ताँ
आम आदमी की दास्ताँ
सहारा मत माँग बेसहारों से ऐ दोस्त,
बहुत तकलीफ देती है ।
वो क्या तुम्हें सहारा देंगे,
जो खुद बेसहारा है ।
उन्हें भले ही लगता हो,
कि हम जनता के सेवक हैं,
काम कराने जाओ तो,
वो घंटों तुम्हें बैठायेंगे ।
जिसके साथ तुम जा रहे हो,
कभी कभी वो भी,
मजाक तेरा उड़ायेंगे ।
बहुत देर से बैठे हो तो,
अंत में जवाब आयेगा,
आज महोदय जी न आयेंगे ।
उनके मुंशी और पीए से बोलने में भी,
तेरे पसीने छुट जायेंगे ।
साहस जुटाकर जो बोल दिये तो बोलेगा,
कि कल अहले पहल हम,
आपका ही काम करवायेंगे ।
पर कल जरा सी देर हुई तो फिर,
गरजना-बरसना शुरू हो जायेंगे ।
अगर पलटकर जवाब दे दिया आपने तो,
जवाब मिलेगा आपको,
कृपा कर महाशय,
अब आप यहाँ से जायेंगे ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 13/06/2018
समय – 10 : 55 (सुबह)
संपर्क – 9065388391