आभार
स्वच्छता,साज सज्जा का विचार..कहाँ गर्द,धूल और मैल!
बाहरी,अंदरूनी, ऊपरी सतह को सवार.. तो खैर!
अधिकता और कमी कहीं, नज़र वहीं!
वास्तविकता और नकारात्मकता,छुपी है वहीं,जहां सोच नहीं!
धूल थकाती है,तब छत तले सुलाती है!
स्वच्छता की ख़ूबसूरती,धुली यादों की याद दिलाती है!
यादों का अहसास,ख़ुशियों के पल,सम्भाल फिर सम्भाल!
क्रोध,कटुता,बैर,कलह,ईर्ष्या,अत्याचार,कपट,अहंकार,असत्य सब बेकार..आंतरिक बुराई पर कर संहार!
नींव से दूर.. मन की कटुता,वास्तविकता से दूर..आधुनिकता!
प्रवक्ता के साथ जीवन को सुधार!
आभार आभार आभार????