आभार माता पिता का
माता पिता
होते है सेतू
माँ ढकती
ऑचल में
पिता सिखाता
फतेह करना पहाड़
हर मुश्किल में
खड़ा रहता साथ
हटा हर काँटा
माँ शीतल जल है
तो पिता होता है अग्नि
माँ नरम एहसास
तो पिता कठोर प्रशिक्षक
माँ झुलाती है झूला
तो पिता
झूलाता है आसमां
बराबरी नहीं
माता पिता की
दुनियां में
जब तलक जीते है
चाहते है खुशहाली
औलाद की
माॅ है जननी तो
पिता है निर्माता
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल