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21 Nov 2021 · 1 min read

आब घुरि एलहुँ हम

रहै ओ शोणित सँ सानल माटि
तैं गाछ देखि उङैछ ललकी ओढ़नी
ई गोटक फूलक खेत हमर
फेर वैह अंग करण धरती पर
कोना पायल केर छमकै नय देखाउ
आबि गेलीह ओहि वंसुधरा पर
मोन मोन देखि बड्ड इठलाउ

इजोत शहर मे
आर घर गाम केर चहुँदिस मे
हे यै बहिनपा घुरि एलहुँ हम

धिया पूता रहै सब आँगनमे
परदादीसँ सुनैत रहि ओ खिस्सा
बैसला जामुन गाछ पर जाकऽ
ओ सभ मोन करिते हम
बस ओहिमे डूमि रहल छी
माटि लऽ चुमि रहल छी
कण-कण मे
हाथ माथ पर धऽ सोचि रहल छी
हे यै काकी आब घुरि एलहुँ हम

ओ गोसाउनि घरक पेटी
बड्ड दिन बाद फुजल अछि
अभरि रहल छै माँ केर ममता
बहुत दिवस पर भेटल अछि
हे मिथिले पावन भू हमर
आब घुरि एलहुँ हम

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
2 Likes · 2 Comments · 312 Views
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