आबु चितचोरवा फगुआ में
आबु खेले होली , पहुनवा मिथिला में,
आएव सिया संग,आनव लखन दूलरवा के,
ऐ बेर खेलव होरी पहुनवा मिथिला में,
फुल से खेलबे, गुलाल से खेलबे
ऐ बेर खेलव यो फगुआ पहुनवा मिथिला में।
जे अहा छी बाप के बेटा,
पीयव अहा न भांग के घोंटा,
ऐ बेर खेलथीन भोला – गोरा फगुआ मिथिला में,
जनक जी के मिथिला में।
खेलव होरी सरहोइज – सायर संग अगनवा में,
श्याम रंग में चढ़े कोनो ना रंगवा रे,
आब कोन रंग हम लगायब फहुनवा कऽ?
सिया रंग से नहायव हम पहुनवा कऽ,
आबु आबु चितचोरवा फगुआ में।