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27 Apr 2024 · 1 min read

आबाद मुझको तुम आज देखकर

आबाद मुझको तुम आज देखकर।
लेने खबर मेरी तुम आ गए हो।।
थकते नहीं अब तारीफ करते।
मुझको बुलाने तुम आ गए हो।।
आबाद मुझको तुम———————–।।

करते नहीं थे कल बात मुझसे।
लगती थी बुरी मेरी गरज कल।।
मेरा चमन जो महका है आज।
खुशी बाँटने तुम आ गए हो।।
आबाद मुझको तुम—————–।।

समझा था कल क्यों कमजोर मुझको।
मिलाया नहीं क्यों कल हाथ मुझसे।।
मौजूद हैं आज मेरे सँग सितारें।
मुझको मनाने तुम आ गए हो।।
आबाद मुझको तुम—————–।।

करते थे परदा कल क्यों मुझसे।
बुलाया नहीं क्यों महफ़िल में मुझको।।
बेताब हो आज सुनने को मुझको।
हमको लगाने गले तुम आ गए हो।।
आबाद मुझको तुम—————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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