आबादी मुश्किल की जननी है
दिल्ली जैसी हालात पूरे भारत की हो जायेगी,
आबादी मुश्किल की जननी बात समझ कब आयेगी
ये बात समझ कब आयेगी…2
भारत माँ के आंचल में नित चीर लगाना जारी है,
बात बात पर फूट रही अब मज़हब की चिंगारी है,
रोज़गार की कमी हुई,महँगाई सब पर भारी है,
भूख गरीबी से उपजी जाने कितनी बीमारी है,
अमन,प्रेम,सुख की बातें सब पन्नों में खो जाएंगी,
दिल्ली जैसी हालात पूरे भारत की हो जायेगी..2
तुम ही सोचो धरा भी आखिर कितना बोझ उठाएगी,
सुख रही ये नदियाँ सबकी कैसे प्यास बुझाएंगी ,
कहीं प्रदूषण,बाढ़ कहीं पर सूखे की लाचारी है,
आने वाले कल की एक भयावह सी तैयारी है,
सोने की चिड़ियाँ विपदा के पिंजरों में सो जायेगी,
दिल्ली जैसी हालात पूरे भारत की हो जायेगी…2