आप हमको जो पढ़ गये होते
हौसलों का पता नहीं चलता ।
वक़्त से हम जो डर गये होते ।।
समझ एहसास तुम गये होते ।
दर्द लफ़्ज़ों में गढ़ गये होते ।।
ज़िंदगी तेरा हक़ अदा करके ।
अपनी नज़रों में उठ गये होते ।।
कुछ भी हममें अधूरा न रहता ।
आप हमको जो पढ़ गये होते ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद