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19 Feb 2022 · 1 min read

आप हमको जो पढ़ गये होते

हौसलों का पता नहीं चलता ।
वक़्त से हम जो डर गये होते ।।

समझ एहसास तुम गये होते ।
दर्द लफ़्ज़ों में गढ़ गये होते ।।

ज़िंदगी तेरा हक़ अदा करके ।
अपनी नज़रों में उठ गये होते ।।

कुछ भी हममें अधूरा न रहता ।
आप हमको जो पढ़ गये होते ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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