आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
समस्यापूर्ति गीत सृजन:
मन ही मन में गीत रचे जो, मन ही मन मुस्काने को ।
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
मन ने जो जो सपने देखे गीतों में ही बसा दिये।
क्या जाने कितने पल हमने सपनों में ही बिता दिये।
टूटे सपने आतुर है मन, मन की पीर सुनाने को।
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
जीवन पथ पर संघर्षों का हमसे नाता बना रहा।
ठोकर खाना, फिर गिर जाना, गिर कर उठना लगा रहा।।
कड़वे मीठे कितने ही अनुभव हैं मीत सुनाने को।
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
इन गीतों में कुछ सुखमय हैं मन को खूब रिझायेंगे।
कुछ में थोड़ा दर्द बसा है, तुम को बहुत रुलायेंगे।
विविध रंग सुर ताल विविध हैं इन में मीत सुनाने को।
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
मन ही मन में गीत रचे जो, मन ही मन मुस्काने को ।
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद ।
21.01.2021