आप सताने लगे
**** आप सताने लगे ******
काफिया – बसाने रदीफ- लगे
212,212,212,212
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प्यार में आप यूँ ही सताने लगे,
राह में फूल हम हैं बिछाने लगें।
छोड़ दी है डगर आपने प्रेम की,
रूठ गर हम गए तो मनाने लगे।
बेरुखी ने हमे है सताया बहुत,
बात सारी जहां से छुपाने लगे।
कोशिशें काम ना कर सकी जहाँ,
जाल में फ़ांस कर यूं गिराने लगे।
रौंदकर तुम हमें यार चल ही दिए,
क्रोध में आग बनकर जलाने लगे।
ख्वाब देखे जहां में सभी हैं मिले,
शुक्रिया आपका हम जताने लगे।
आज सीरत न रुसवां यूँ हमें करो,
मोह के मेघ हम को रिझाने लगे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)