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18 Mar 2020 · 1 min read

आप रहने दीजिए

दिल में है कुछ बात हमको भी तो कहने दीजिए
आँसुओं को रोकना मुश्किल है बहने दीजिए

भीड़ से खुशियाँ यकीनन बाँटिए मिलकर मगर
गम को तो कुछ देर तनहाई में रहने दीजिए

मानता हूँ शौक है पक्के घरों का आपको
किन्तु मिट्टी के घरों को न यूँ ढहने दीजिए

चुन लिया जब लक्ष्य हमने आप ही कर हौसला
खोज लेंगे रास्ता भी आप रहने दीजिए

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