किरणों का कोई रंग नहीं होता
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
रमेशराज का ' सर्पकुण्डली राज छंद ' अनुपम + ज्ञानेंद्र साज़
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
I lose myself in your love,
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
उजले दिन के बाद काली रात आती है
!!!! कब होगा फैसला मेरा हक़ में !!!!
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*छॉंव की बयार (गजल संग्रह)* *सम्पादक, डॉ मनमोहन शुक्ल व्यथित
इतने बीमार हम नहीं होते ,
हम तो बस कहते रहे, अपने दिल की बात।