*** आप भी मुस्कुराइए ***
*** आप भी मुस्कुराइए ***
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मुझे
देखकर
एक फूल
मुस्कुराने लगा
मेरी बदहाली पर
तरस खाने लगा
मुझसे पूछा कि क्यों उदास हो
*
मैंने
कहा लोग
मुझे देखकर
सिहर जाते हैं
ईर्ष्या से भर जाते हैं
*
मेरी
ग़रीबी का
मज़ाक़ उड़ाते हैं
बात-बात में मेरे
जज़्बातों से खेल जाते हैं
*
मेरी
मजबूरी का
फायदा उठाते हैं
कोई मुझे पसंद नहीं करता है
*
एक
तुम हो
लोग तुम्हें देखते
ही खिल जाते हैं
मुस्कुराने लगते हैं,
खुशियों से भर जाते हैं
*
फूल
ने कहा
लोग फूलों को नहीं
उसके ख़ुश्बूओ और
कलर को पसंद करते हैं
*
आप
भी जीवन को
कलरफुल बनाइए
फिज़ा को मह-मह महकाइए
और मेरी तरह आप भी मुस्कुराइए
•••••••• एक फूल •••••••••
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ ( उ.प्र.)