आप और हम
शीर्षक – आप और हम
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आप और हम ही तो जीवन होते हैं।
हम सभी के अपने सपने रहते हैं।
जिंदगी एक सफर आप हम करतें हैं।
सच और सोच झूठ फरेब भी करते हैं।
आप और हम सभी हम समझते हैं।
बस एक सोच और समझ हम मानते हैं।
न तेरा न मेरा कुछ बस सांसों के साथ हैं।
आप और हम रंगमंच के किरदार होते हैं।
सच तो हमारे जीवन में बस समर्पण हैं।
आप और हम एक-दूसरे के साथ होते हैं।
सच या फरेब हम सभी मन में रखते हैं।
बस आप और हम जीवन को जीते हैं।
हम सभी विचारों को एक-दूसरे से कहते हैं।
आओ अपने जीवन को अपने में जीते हैं।
सच और सही हम निःस्वार्थ भाव रहते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र