अगर तुझसे न मिलते हम ज़माना मिल गया होता
हमें तुझसे बिछडने का बहाना मिल गया होता
अगर तुझसे न मिलते हम ज़माना मिल गया होता
उदासी में न कटते दिन न रो रो के गुज़रती रात
न कोई खेलता दिल से न लुटते यूँ मिरे जज़्बात
अगर हमको भी हम जैसा दिवाना मिल गया होता
अगर तुझसे न मिलते हम ज़माना मिल गया होता
कोई बस्ती में ना बसते जो होते दूर महलों से
हमेशा दूर ही रहते मोहब्बत के झमेलों से
हमें सहरा में गर कोई ठिकाना मिल गया होता
अगर तुझसे न मिलते हम ज़माना मिल गया होता
न यूँ बरबाद हम होते न रुसवाई हमें मिलती
न तू हमको दगा देता ना तेरी ये जफा मिलती
अगर ऊंचा हमें कोई घराना मिल गया होता
अगर तुझसे न मिलते हम ज़माना मिल गया होता
हमें तुझसे बिछडने का बहाना मिल गया होता
अगर तुझसे न मिलते हम ज़माना मिल गया होता
इरशाद आतिफ़ अहमदाबाद
9173421920